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अली वज़ीर- जो अपने परिवार के 16 सदस्यों को खोकर पाकिस्तान आर्मी से लड़ रहा है

अली वज़ीर- जो अपने परिवार के 16 सदस्यों को खोकर पाकिस्तान आर्मी से लड़ रहा है

नाम-अली वज़ीर
पहचान-पशतुन नेता
चर्चा में-पाकिस्तानी सेना से मुठभेड़ के कारण

अगर मुझसे पूछिएगा की पिछले 2 वर्ष में सबसे ज्यादा पाकिस्तान की आर्मी और उसकी गंदी विचारधारा को किसने नंगा किया है तो मेरा जवाब होगा-पशतुन तहफ्फुज मूवमेंट ने।अमेरिका द्वारा 2002 में अफ़ग़ानिस्तान में घुसते के साथ ही पाकिस्तान ने छद्मयुद्ध शुरू कर दिया।आजकल इस छद्मयुद्ध को वॉर इकॉनोमी यानी युद्ध अर्थशास्त्र कहते हैं।अगर साधारण भाषा में बोला जाए तो वो अर्थव्यवस्था जो युद्ध से अपना भरण पोषण और पेट पालना चाहे।

तो अमेरिकन जब अफगानिस्तान में घुसें तो पाकिस्तान ने उनको मदद देना शुरू कर दिया।जैसे पैसे लेकर पाकिस्तान ने उनको अपने यहां लीज पर जमीन भी दी।अमेरिका जब अफ़ग़ानिस्तान में अतिवादी आतंकवादी संगठन से लड़ने लगा लगभग उसी समय पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने एक नई योजना बनाई।यह योजना थी पाकिस्तान के द्वारा आतंकवादियों को पीछे से समर्थन की ताकि अमेरिका की सेना अफ़ग़ानिस्तान में फंसी रहे और उसे हमेशा पाकिस्तान की मदद की जरूरत पड़े जिसके बदले पाकिस्तान मोटे पैसे अमेरिका से लेता रहे।

पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों ने आतंकवादियों यानी तालिबान को ट्रेनिंग देने के लिए जो जगह चुना उस जगह का नाम था खैबर पख्तूनख्वा या वजीरिस्तान का इलाका।ये इलाका अफ़ग़ानिस्तान से सटा हुआ है और आसानी से आतंकवादियों को पाकिस्तान की सेना लम्बे समय तक ट्रेनिंग देती रही और अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका को उलझाकर रख दिया।अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसियां जबतक पूरे खेल को समझ पाते तबतक उनके जमीन को तालिबान छीन चुकी थी और खेल बुरी स्थिति में पहुंच चुका था।अमेरिका के कई ऑफिसरों ने इस खेल पर अब व्यापक तरीके से लिखा है जिनमें अमेरिकी रिटायर्ड कर्नल लौरेंस सेलीन प्रमुख हैं।

जब तालिबान पूरे वजीरिस्तान यानी पशतुन इलाके में ट्रेनिंग लेने के लिए सक्रीय हुआ तो स्थानीय लोगों से इसकी झड़प शुरू हो गई।उसी दरमियाँ अली वज़ीर के भाई ने तालिबान के खिलाफ लोगों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया।अली वज़ीर के भाई की तालिबान ने हत्या कर दी।उसके बाद इनके घर के और सदस्य जिनमे ये खुद शामिल थें,ने तालिबान के खिलाफ आवाज़ बुलंद करना शुरू किया।इनके पिताजी,चाचा,भतीजा सहित परिवार के 16 लोगों की हत्या कर दी गई और अली वज़ीर 4-5 बार तालिबान के हमले में गंभीर रूप से जख्मी हुएं लेकिन कहते हैं न की जिसकी इतिहास लिखी जाती है वो आग के दरिया से होकर गुजरता है।

2008 और 2013 के नेशनल असेंबली के चुनाव में हार मिलने के बावजूद पशतुन मिट्टी के लोगों के लिए वजीर लड़ते रहे और खुलेआम तालिबान के खिलाफ बोलते रहें।उनपर 2018 में एक और हमला हुआ जिनमे उनके 4 दोस्त मारे गएं और वो फिर से बुरी तरह जख्मी हुएं।तालिबान और पाकिस्तान आर्मी की इस खेल को उन्होनें 70 हज़ार लोगों के भीड़ से एक नारा लगवाकर जताया जिसके बाद पाकिस्तान आर्मी की नींद उड़ गई।नारा था-“ये जो दहशतगर्दी है,इसके पीछे वर्दी है।”

2018 में इमरान खान ने अपने पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए अली वज़ीर को प्रस्ताव भेजा।वज़ीर समझ गए की आर्मी उन्हें लालच देकर उनकी जबान को बंद कराना चाहती है,वज़ीर ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया और निर्दलीय चुनाव में उतरें और जीत दर्ज की।

पशतुन प्रोफ़ेसर और एक्टिविस्ट अरमान लोनी की पुलिस कस्टडी में हत्या,पशतुन मॉडल नकीबुल्लाह महसूद की पुलिस ऑफिसर द्वारा बेवजह गोली मारकर हत्या और कई अन्य बेगुनाह पशतुन लोगों की आर्मी के द्वारा हत्या करने के बाद अली वज़ीर ने पाकिस्तान आर्मी को फिर से घेरा,नारा वही था-“ये जो दहशतगर्दी है इसके पीछे वर्दी है”

इसके बाद पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिफ गफ्फूर ने अली वज़ीर सहित पशतुन तहफ्फुज मूवमेंट के हर सदस्य को भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ का आदमी बताया तथा अफ़ग़ानिस्तान की खुफिया एजेंसी NDS द्वारा इन्हें वितीय पोषित बताया।आगे गफूर ने बोला की अब पशतुन तहफ्फुज मूवमेंट का समय खत्म हो चुका है।

इसी महीने के 26 मई को पाकिस्तान आर्मी ने अली वज़ीर के नेतृत्व में उतरी वजीरिस्तान में चल रहे शांति सभा के दौरान नागरिकों की भीड़ पर खुलेआम गोलिबारी की,इसमें मौके पर 3 पशतुन मारे गएं और 45 से ज्यादा घायल हुएं,धरना का आयोजन 2 दिन पहले पाकिस्तानी सेना के द्वारा अपहरण किये गए 2 पशतुनों की रिहाई के लिए किया गया था।जख्मी अवस्था में अली वज़ीर को गिरफ्तार कर सेना के कस्टडी में ले जाया गया है।

मुझे ये सब देखकर महान पशतुन नेता और भारत रत्न खान अब्दुल गफ्फार खान की वो पंक्ति याद आती है,जो उन्होंने गांधी जी को कहा था।

“आपने हम पशतुनों को भेड़ियों के मांद में फेंक दिया है,पता नही हमारा भविष्य क्या होगा!”

कहना न होगा की एक महान नेता हमेशा दूरदर्शी होता है और खान अब्दुल गफ्फार खान भी दूरदर्शी थें।

क्या पता पशतुन भी कल आज़ादी की मांग को सबके सामने रखें।

Featured Image: Dawn

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